दोस्तों , इस लेख में मैं आपकों What is Finance फाइनेंस क्या है के बारे में बताऊँगा । आज के आर्थिक युग में हम बहुत कम उम्र में ही फाइनेंस शब्द सुन लेते हैं और हम में से कई के मन में आता हैं कि फाइनेंस क्या है l इसे आपने गूगल पर भी सर्च किया होगा लेकिन, इसका सही और सटीक जवाब नहीं मिल मिला होगा । इस लेख में हमने बहुत ही विस्तार से फाइनेंस का मतलब क्या है को समझाने का प्रयास किया है ।
What is Finance को हिंदी में क्या कहते हैं ? आपने बचपन में पढ़ा होगा की यें शब्द French या Latin भाषा से ही निकलता है। Finance के साथ भी ऐसा ही हुआ है. फाइनेंस शब्द फ्रेंच (French) भाषा से लिया गया है. जिसका हिंदी मतलब वित्त होता है. अक्सर हम सुनते है फाइनेंस डिपार्टमेंट, फाइनेंस जॉब, फाइनेंस मिनिस्टर, फाइनेंस सलाहकार आखिर फाइनेंस का मतलब क्या है ? फाइनेंस का मतलब पैसे के लेन देन से है. फाइनेंस एक बहुअर्थीय शब्द है. किसी भी व्यक्ति, कंपनी तथा सरकार को काम के करने के लिये वित्त यानी फाइनेंस आवश्यक है. लेकिन, दुःख की बात है इसकी पढाई किसी स्कूल, या कॉलेज नहीं होता है l
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Finance सर्च करने का मतलब है आप फाइनेंस को समझना चाहते हो. इसे जितना जल्दी समझ लिया जाये उतनी अच्छी बात है. फाइनेंस अपने आप में बहुत बड़ा टॉपिक है. एक पोस्ट में इसके बारें में सब कुछ बता पाना संभव नहीं है. लेकिन, हर संभव प्रयास किया गया है फाइनेंस का मतलब समझा पाऊं ।
जब किसी उद्देश्य या व्यवसाय के लिए पैसों का प्रबंध किया जाता है तो यह वित्तीयन (Financing) कहलाती है. इस धनराशि के लिए कुछ कीमत चुकाना होता है. जिसे ब्याज (Interest) कहते हैं.
Finance की जरूरत कंपनी, या उत्पादन कार्य शुरू करते वक़्त किया जाता है. कुछ लोग कंपनी के खर्चे को चलने के लिए भी फाइनेंसियल हेल्प के लिए सर्च करते हैं ।
What is Finance । फाइनेंस क्या हैं ?
पैसा के मामले में फाइनेंस भी समुद्र ही है. कोई भी व्यक्ति इसके बारें में सब कुछ नहीं जनता है. इसके बारें में जितना जानकारी है उतना कम है ।
फाइनेंस (Finance) को हिंदी में वित्त कहते हैं. इसका मतलब है किसी भी कार्य, उत्पादन, कंपनी, व्यवस्था को सुचारु रुप से संचालन करने के लिए जिस आवश्यक पूंजी की जरूरत है उसे फाइनेंस (वित्त) कहते हैं.
पूँजी का सीधा सम्बन्ध पैसा, मुद्रा से होता है. क्यूंकि, किसी भी कंपनी, मैन्युफैक्चरिंग यूनिट, संस्था, स्टार्टअप को सुचारु रूप से चलने के लिए कुछ सेटअप लगाना होता है. कर्मचारी को तनख्वाह देना होता है. यह सब कार्य पैसे से ही हो सकता है दल
इन आवश्यकताओं की पूर्ति खुद के इन्वेस्टमेंट से किया जा सकता है या कुछ संस्थाए हैं जो लोन मुहैया करवाती है. ऐसी संस्था को वित्तीय संस्था फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन कहते हैं ।
आसान भाषा में वित्त या फाइनेंस की परिभाषा धन के प्रबंधन के रूप में की जाती है. लेकिन फाइनेंस को तीन भागों में बांटा गया है-
Types Of Finance (फाइनेंस के प्रकार)
फाइनेंस के प्रकार आधुनिक युग में फाइनेंस को तीन भागों में विभाजित किया गया है.
- व्यक्तिगत वित्त (personal Finance) is
- निगम वित्त (Corporate Finance)
- लोक वित्त (Public Finance)
ऊपर बताया गया तीनों प्रकार के फाइनेंस का कार्य समान हैं जैसे
- सही इंवेस्ट करना
- कम ब्याज पर लोन प्राप्त करना
- देनदारी के लिये फंड की व्यवस्था करना
- बैंकिंग का सही ज्ञान होना
लेकिन व्यक्ति, कंपनी, और सरकार के मामले में इसका मतलब बदल जाता है. सभी तरह के फाइनेंस के बारें में विस्तार से भी लेख लिखा गया है आप ऊपर दिये गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं-
1. पर्सनल फाइनेंस-
Personal Finance का मतलब – व्यक्तिगत वित्त का प्रबंधन है. पर्सनल फाइनेंस में किसी व्यक्ति के धन की कहानी निहित है जो यह सिखाती है कि-
- धन कैसे संभाला जाये.
- धन पर नियंत्रण कैसे रखते हैं.
- उपलब्ध धन मतलब अभी जो संपत्ति है उससे ज्यादा से ज्यादा धन कैसे बनाया जाये.
2. कॉरपोरेट फाइनेंस-
कॉरपोरेट फाइनेंस जिसे हम निगम वित्त भी कहते हैं, इसमें एक कंपनी, संगठन या समूह की कमाई, खर्च, और बचत की प्लानिंग और फ्रीडम की बात की जाती है.
3. पब्लिक फाइनेंस-
Public Finance इसमें दो शब्द है, पहला पब्लिक और दूसरा फाइनेंस पब्लिक का मतलब लोगों से है और फाइनेंस का मतलब तो पता ही है.
पब्लिक मतलब लोग मतलब लोगों का पैसा तो इसका मतलब क्या है ?
यहां पब्लिक मतलब जनता से है और जनता किसे चुनती है? जनता सरकार को चुनती है. मतलब पब्लिक फाइनेंस में सरकार के फाइनेंसियल सिस्टम के बारें में बताया गया है. सरकार की आमदनी, खर्च और यदि किसी कारनवश सरकार को कर्ज लेना हुआ तो कर्ज कहाँ से लेती है.
फाइनेंस की जानकारी क्यों जरूरी हैं ?
सफल व्यवसायी बनने के लिए या जीवन में आर्थिक छुटकारा पाने के लिए फाइनेंसियल शिक्षा का होना जरूरी है. कई ऐसे लोग हैं जिनकी कमाई लाखों में है लेकिन, वित्तीय शिक्षा के आभाव में उन्हें सिर्फ कामना ही होता है.
वह कभी आगे की सोच नहीं रख पाते हैं. कुछ लोग बहुत काम उम्र में अपने काम से रिटायर हो जाते हैं लेकिन कुछ लोगों को आखिरी सांस तक काम करना होता है.
इन दोनों में फाइनेंसियल शिक्षा का अंतर होता है. अच्छा फाइनेंसियल नॉलेज रखने वाले व्यवसायी या नौकरी पेशा वाले हमेशा काम ब्याज दर पर ऋण प्राप्त करना चाहते है, और अपने निवेश पर ज्यादा से ज्यादा रिटर्न की उम्मीद करते हैं. धन के प्रबंधन का विज्ञान ही फाइनेंस है. जिसमें निवेश, नकदी प्रवाह और जरूरी वित्त संसाधन प्राप्त करने की वास्तविक प्रक्रिया सिखाया जाता है.
- अल्पकालीन वित्त (Short Term Finance)-
जब बहुत कम समय (15 महीने) के लिए ऋण लिया जाता है तो यह ऋण अल्पावधि वित्त कहलाता है.
- मध्यकालीन वित्त (Medieval Finance)-
इस ऋण की अवधि 15 महीने से 5 वर्ष तक की होती है और इसका उद्देश्य मैन्युफैक्चरिंग या प्रॉपर्टी के लिए होता है.
- दीर्घकालीन वित्त (Long Term Finance)-
5 वर्ष से अधिक समय के लिए जो ऋण लिया जाता है उसे दीर्घकालीन वित्त कहते हैं इसका उद्देश्य परिसंपत्तियों का निर्माण करने के लिए होता है.
CONCLUSION –
फाइनेंस का सीधा सम्बन्ध रुपया पैसा के प्रबंधन से है. अच्छी वित्तीय ज्ञान (Financial Knowledge) के साथ कम समय में कम पैसे से भी बहुत अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है l
वित्तीय शिक्षा के अभाव में व्यवसायी या नौकरी करने वाला व्यक्ति समुचित धन नहीं जुटा पाता है. यह धन राशि किसी व्यक्ति या किसी संस्था या सरकार का हो सकता है. फाइनेंसियल एजुकेशन के लिए कुछ किताब है जिसे पढ़ सकते हो. लेकिन, यदि किताब पढ़ने का समय नहीं है तो यूट्यूब वीडियो भी देख सकते हो. ऐसे कई यूट्यूबर हैं जो लगातार फाइनेंसियल एजुकेशन पर बहुत ही जानकारी से भरा वीडियो बना रहे हैं l
उम्मीद है फाइनेंस (Finance) शब्द का मतलब जरूर समझ आ गया होगा. फाइनेंस अपने आप में बहुत बड़ा सागर है. लेकिन बहुत दुःख की बात है किसी भी शैक्षणिक संसथान में फाइनेंसियल एजुकेशन / वित्तीय शिक्षा नहीं दी जाती है. ऐसे में हमारा यह प्रयास है आप तक वित्तीय शिक्षा की समझ को लेकर आये l